चंदेरी में स्थापित सर्वोदय क्षेत्र : तीर्थधाम आदीश्वरम्

सर्वोदय क्षेत्र तीर्थधाम आदीश्वरम्
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मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक व पौराणिक नगरी चंदेरी श्रमण संस्कृति की विपुल सम्पदा को अपने अंचल में समेटे हुए गौरव पूर्ण इतिहास की अमर गाथा बताने के लिए सीना ताने विद्यमान है। इस पौराणिक नगर ने भारतीय इतिहास के अनेक स्वर्णिम पृष्ठ  समाविष्ट किये हैं।यहां की मूर्तिकला एवं स्थापत्य कला अद्वितीय है। श्रीमद् जिनसेनाचार्य ने आदिपुराण में भ.ऋषभदेव के समवशरण का विहार चेदि जनपद में होने का उल्लेख किया है। प्राचीन समय में चेदि जनपद की राजधानी चंदेरी थी जिसे चंद्रपुरी भी कहा जाता था। वर्तमान में यह खण्डहर रूप में बूढी चंदेरी के नाम से विद्यमान है। अतीत में यह भ.कृष्ण के फुफेरे भाई शिशुपाल की राजधानी के नाम से विख्यात रही है। कलिंग नरेश खारवेल का नाम भी इस नगरी से जोडा जाता है। यहां जैन भट्टारकों की प्रसिद्ध गादी थी जो परवार पट्ट के नाम से इतिहास में दर्ज है। यह भट्टारक पीठ शुद्धाम्नाय की प्रबल पक्षधर रही है। संगीत सम्राट बैजूबावरा का समाधिस्थल चंदेरी के कीर्ति दुर्ग के निकट स्थित है।चंदेरी का जौहर इतिहास प्रसिद्ध घटना रही है।स्वतंत्रता संग्राम में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ कदम से कदम मिलाकर लडने वाले महाराजा मर्दनसिंह चंदेरी के अंतिम शासक थे।
वर्तमान में यह नगरी विकास के पथ पर अग्रसर है।यहां का मनोहारी चौबीसी जैन मंदिर एवं खंदार जी की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित होने से देश-विदेश के अनेक सैलानी  नगर भ्रमण के उद्देश्य से यहां आते रहते हैं।नये बस स्टैण्ड के समीप नयी कालोनियों के विकसित होने से अनेक जैन परिवारों का निवास यहां हो गया है। समीपस्थ जैन मंदिर नहीं होने से नित्य देव दर्शन करने वालों को कठिनाई हो रही थी। अपनी जन्मभूमि के प्रति अनुराग होने से हम भाईयों के मन में विचार आया कि क्यों न यहां भ.ऋषभदेव को समर्पित करते हुए दर्शनीय स्थल विकसित किया जाए। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु हिरावल ग्राम निवासी स्व.कैलाशचंद ने अपने ग्राम हिरावल  स्थित जिनालय के प्रतिबिम्ब हमें देने का वचन दिया। हमारे पूज्य पिताजी स्व.श्री महेन्द्र कुमार जी बंसल ने कैलाश चंद जी की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए मेरे अनुज श्री अजित बंसल को जिनालय निर्माण हेतु भू भाग देने को राजी किया।स्मरणीय है कि हमारे पितामह स्व.पण्डित चुन्नीलाल जी शास्त्री जो पूज्य कानजी स्वामी के विचारों से अत्यंत प्रभावित रहे हैं के मन में भी इसी प्रकार की भावनाएं बलवती होती रही हैं जिसे मूर्त रूप देने हमारे पिताजी श्री महेन्द्र कुमार बंसल कटिबद्ध हुए और 28 जुलाई 2009 को विधिवत भूमिपूजन कर इस सर्वोदय क्षेत्र तीर्थधाम आदीश्वरम् की नींव रखी गयी।
प्रारंभ में 3 कमरों का निर्माण श्री कैलाश चंद जी हिरावल के सहयोग से किया गया। 18 फरवरी 2010 को विधिवत मंदिर जी का शिलान्यास तथा वेदी प्रतिष्ठा का आयोजन कर हिरावल ग्राम का समवशरण उक्त वेदी में विराजमान किया। श्री पी.सी.सेठी जयपुर के आर्थिक सहयोग से45×45का  अष्टकोणीय हाल का निर्माण किया जिसमें हिरावल निवासी जयकुमार जी तथा संतोष कुमार जी के अथक प्रयासों से उनके परिजनों द्वारा यह भव्य वेदी निर्मित हुई है जिसकी वेदी प्रतिष्ठा सम्पन्न हो रही है।ऊपरी भाग में भ.ऋषभदेव की 51 इंच अवगाहना भव्य प्रति बिम्ब श्री प्रेमचन्द गुरहा परिवार रायपुर द्वारा स्थापित की गयी।ऊपरी भाग की परिक्रमा में पंच बालयती तथा 4 अन्य तीर्थंकरों की वेदिका निर्मित हैं।इन 9 वेदिकाओं का निर्माण सर्व श्री प्रमोद चौधरी-भोपाल, अशोक बडकुल-दुर्ग,संजीव नायक-ललितपुर, आनंद बरया-ललितपुर, ब्र.देवेन्द्र कुमार -एटा,बसंतीलाल सुनील कुमार -कोटा,महेन्द्र बंसल-चंदेरी,जयकुमार बंसल-चंदेरी तथा अखिल बंसल-जयपुर द्वारा कराया गया । 27 जनवरी से 1 फरवरी 2013 तक आ.श्री विमर्श सागर जी सरसंघ तथा तत्ववेत्ता डा.हुकमचंद भारिल्ल के सान्निध्य में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। सर्वोदय क्षेत्र तीर्थधाम आदीश्वरम् तीर्थंकर ऋषभदेव सर्वोदय फाउंडेशन न्यास के अंतर्गत कार्यशील है,इस न्यास में 5 संस्थापक न्यासी हैं।
              - अखिल बंसल,जयपुर