डायरी के पन्नों से.....
सोचने से 
कहाँ मिलते हैं 
तमन्नाओं के 
शहर..!!
चलने की 
जिद भी 
जरुरी है 
मंजिलों के लिए...!!!
                 *जर्नलिस्ट अखिल बंसल